भेड़ों का पालन करने से पहले इनकी नस्लों के बारे में जरूर जानें
भेड़ों का पालन मुख्य रूप से ऊन उत्पादन के लिए किया जाता है। भेड़ ऊन उत्पादन का सबसे अच्छा स्त्रोत है। आज हम आपको भेड़ों की कुछ नस्ल जैसे कि गद्दी, मारवाड़ी, मांड्या, नेल्लोर और दक्कनी भेड़ के संबंध में जानकारी देंगे। किसान भेड़ पालन अपने मोटे मुनाफे के साथ-साथ अपनी दैनिक आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए करते हैं। परंतु, भेड़ पालन करने से पूर्व आपको अच्छी तरह इनकी नस्लों की जानकारी होनी जरूरी होती है। भेड़ों में भी बहुत सारी नस्लें ऐसी होती हैं, जो ज्यादा कीमत की ऊन की पैदावार करने के साथ ही दूध उत्पादन के लिए पाली जाती हैं।इन नस्लों की भेड़ों के बारे में जानें
गद्दी नस्ल की भेड़
इस नस्ल की भेंड़ आकार में छोटी होती हैं। ये जम्मू के बहुत सारे क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इस नस्ल को पालने की प्रमुख वजह ऊन है। इस नस्ल के नर भेड़ के सींग होते हैं और मादा सींग रहित होती हैं। इस नस्ल का ऊन काफी चमकदार होता है। बतादें, कि प्रति भेड़ से औसतन 1.15 किलोग्राम वार्षिक उत्पादन किया जा सकता है, जिसे सामान्यतः वर्ष भर में तीन बार काटा जाता है।ये भी पढ़ें: इन नस्लों की भेड़ पालने से पशुपालक जल्द ही हो सकते हैं मालामाल
दक्कनी नस्ल की भेड़
यह नस्ल आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु एवं राजस्थान में पाई जाती है। इन भेड़ों को ऊन उत्पादन के लिए पाला जाता है। भेड़ की यह नस्ल भूरे और काले रंग की होती है। ये ऊन उत्पादन के लिए शानदार भेड़ें हैं। इस नस्ल की हर एक भेड़ तकरीबन 5 किलोग्राम वार्षिक ऊन उत्पादित करती है। यह ऊन निम्न गुणवत्ता का होता है, जो मुख्य रूप से बालों और रेशों के मिश्रण से बना होता है। दरअसल, इसका इस्तेमाल प्रमुख तौर पर मोटे कंबल निर्मित करने के लिए किया जाता है।मांड्या नस्ल की भेड़
यह अधिकांश कर्नाटक के मांड्या जनपद में पाए जाने वाली नस्ल हैं। यह भेड़ सफेद रंग की होती हैं। परंतु, कभी-कभी हल्के भूरे मुंह के साथ भी पाई जाती है। इस नस्ल का आकार छोटा होता है। नर भेड़ का औसत वजन तकरीबन 35 किलोग्राम तक होता है। वहीं, मादा भेड़ का वजन तकरीबन 25 किलोग्राम तक होता है।ये भी पढ़ें: भेड़-बकरियों में होने वाले पीपीआर रोग की रोकथाम व उपचार इस प्रकार करें
नेल्लोर नस्ल की भेड़
नेल्लोर नस्ल की भेड़ मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में पाई जाती है। यह छोटे बालों के साथ आकार में लंबी होती हैं। यह नस्ल भारत की बाकी सभी नस्लों में सबसे ऊंची है। साथ ही, यह दिखने में बकरी के जैसी होती है। नेल्लोर नस्ल की भेड़ के कान लंबे और झुके हुए होते हैं। नर भेड़ का औसत शारीरिक वजन 36-38 किलोग्राम होता है। मादा भेड़ का वजन अच्छे फार्म प्रबंधन के साथ 28-30 किलोग्राम हो जाता है। इस नस्ल का चेहरा लंबा, कान लंबे होते हैं और शरीर घने छोटे बालों से ढका होता है। इस नस्ल की ज्यादातर भेड़ें लाल रंग की दिखाई देती है, इस वजह से लोग इन्हें नेल्लोर रेड कहते हैं।मारवाड़ी नस्ल की भेड़
मारवाड़ी नस्ल की भेड़ के पैर लंबे, काला चेहरा और उभरी हुई नाक होती है। पूंछ छोटी और नुकीली होती है। यह नस्ल प्रमुख तौर पर राजस्थान के जोधपुर और जयपुर जनपदों के कुछ इलाकों में पाई की जाती है। ये भेड़ें उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ जनपदों और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में भी पाई जाती हैं।
29-Oct-2023